आम नहीं, मैं खास हूँ
अपने दिल की मैं आवाज़ हूँ
कुछ साथ हूँ, कुछ राज हूँ
बेताब मैं जज़्बात हूँ
मैं याद मैं ही भूल भी
मैं हँसी हूँ, मैं ही दुःख कहीं
मैं कौन हूँ, मुझे है खबर
मैं सार हूँ, मैं हूँ शहर
मैं गाँव भी, मैं हूँ गली
मैं हर जगह, मैं कहीं नहीं
मैं हर सोच की अगुवाई
मैं डरी हूँ पर ना सकुचाई
मुझसे है घर
मुझसे कली
हर पात मैं
मैं हूँ डली
मैं हूँ भरम
मैं ही हूँ सच
मैं कहाँ नहीं
तू बता सही
हा हा हा हा
अरे क्या है तू
हाँ खास है
मिट्टी है तू, क्षण साँस है
तूझमें बुरा, तुझमें भला
तू है मेरी, एक मंत्रणा
तू भंगुर तो क्या वास्तविक?
जज़्बात तेरे हैं सांसारिक
तू काल नहीं, तू जन्मा है
गुस्ताख़ तू अभी नन्हा है
तू दर्पण बिम्ब, तू कल्पना
तू मूर्त मेरी, पर कुछ फना
तूझमें था मैं, मुझे खो रहा
मैं के लिये तू सो रहा
तू जाग जा
पहचान कर
खोल चक्षु अब
कर ले नमन
ये प्राण तो
तूने पा लिया
पर ध्यान रख
इसका जरा
नादान ना
बनना कभी
कर फैसला
खुद ही तेरा।
©rishabh_myjoopress
-rishabh kumar
Kaya likhte hno bhai,akdam jabar
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haha bhaiya esa bhi nhi 😅bs kuch khayalat ate hai.. panktiya jodte jata hu.. 🙂
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lekin faru hne
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Meri world war wali article pne vhi apna tippaniya dena jarur
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agar aap mujhe follow karenge toh mere ko asani hoga aap ka blogs ko track karne mne,aur aap ko meri,suvhratri
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Kindly follow my blogs and give your valuable feedback on materials which will help me to write brother,have a nice day
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Well written 👍☺
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thanks lovely ji
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Amazing
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thanks miss simran
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behad khub
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