कुछ रास्ते ऐसे कहीं दूर के लगते थे, कुछ किरणों में सिमटकर बस यूँहीं हासिल हुएं। कुछ मंजिलें वैसे कहीं ख्वाब से लगते थे, कुछ कंकडों में मिलकर नजदीक मालूम हुएं। कुछ तारे ऐसे टिमटिमाते थे हमेशा, कहीं दूर कुछ बातें, किया करते तो थे। कुछ रातें सुबह तक, ढल जाया करती थी, फिर बाते... Continue Reading →
क्या हुआ, कोशिश तो ज़रूरी है।
क्या हुआ, कोशिश तो ज़रूरी है। This poem is for uncertainities of life. Read it thinking deep through lines.
ऐ लडके, ओ शैतान
This poem is about mentality of people about misunderstood boys. How they get into those conditions and what they want to say after that. (ऐ लडके, ओ शैतान )
Sunshine Blogger Award
I have been nominated by Daneelyunus for Sunshine Blogger Award. He is the most versatile blogger I've ever seen. I'm thankful to sir for nominating me this amazing award and all my followers who support my writing. Well, this is my second Sunshine Blogger Award. You all should take a look at his blogs daneelyunus.com... Continue Reading →
दोस्ती के बिखरे पल
ये गीत उनके लिए जो भागती दौडती ज़िन्दगी में कहीं दूर निकल जाते हैं, याद तो होते है पर दिक्कत इस बात की होती है कि अक्सर बस यादों में ही रह जाते हैंजरा करीब तो आओजरा.... करीब तो आओजरा बैठो, कुछ सुनाओकहाँ चल दिए, कहाँ है जानाथोडा बैठो तो,कुछ तो सुनानाकुछ हाल दिल के... Continue Reading →
माँ, तुम क्या चाहती हो?
बस यूँही जब एक बच्चा जानना चाहता है अपनी माँ से कि, माँ, तुम क्या चाहती हो?
क्या लिखूँ, क्या लिखूँ, क्या लिखूँ,
क्या लिखूँ, क्या लिखूँ, क्या लिखूँ, निशब्द सा हूँ मैं लग रहा बाते तो हैं कई, पर दिल है कहीं गुम सा खयाल है कम, किसी सोच में हूँ मैं खोया ना जाने क्यों, ना जाने कहाँ सजाना, सवारना, फिर लिखकर कुछ उतारना सजाना, सवारना, फिर लिखकर कुछ उतारना खुद में सोच फिर, क्या सही,... Continue Reading →
परिंदे सोच में हैं इतनी खामोशी, आखिर कैसे आई दिन भर के हो-हल्ले से, चुप्पी कैसे छाई पुहुप भी साक्षी होकर, कर रहे अगुवाई इंसान की दशा हुई है कैसी अब किससे करे लडाई? ~ऋषभ कुमार
आदत सी हो जाती है
आदत सी हो जाती है, अकेला रह लेने की। जब पता हो कि किसी के लिए, हम उतने भी खास नहीं। आदत सी हो जाती है, दिल को हद में रखने की। जब पता हो कि इस दुनिया में, अपनी हद में रहना भी है जरूरी। आदत सी हो जाती है, चुपचाप सा रह लेने... Continue Reading →
मैं तेरा, बिछडा एक ख़्वाब हूँ।
Here is my thoughts during this quarantine sometimes, when I search deep sometimes, something within. मैं तेरा बिछडा एक ख़्वाब हूँ। सुना है, आजकल, तू रहता है शून्य। सुना है, आजकल, तू रहता है शून्य। तेरे साथ लेके तुझे तुझसे ही पार करने को तैयार हूँ। मैं तेरा, बिछडा एक ख़्वाब हूँ। तू ना चाहे... Continue Reading →
जब बाते करनी हो
जब बाते करनी हो, बता देना। जब मिलना हो, दुआ करना। कुछ किस्से हो तो, सुना देना। कुछ किस्से हमारे भी, सुन लेना। कुछ किस्से, कहीं छूटे हैं। उन हिस्सों को, जी ले तू। कुछ पल, मिले हैं अभी। इन पलों में, रह ले तू। कुछ इरादे कभी किए थे तूने। उन इरादों को हकीकत... Continue Reading →
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